सामाजिक कार्यों में त्याग और समर्पण भाव जितना अधिक होगा, सफलता उतना ही सुखद अनुभव देगी ।

यहाँ जाने— भारतीय संविधान उद्देशिका शिलालेख का किस्सा

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सफलता उतना ही सुखद अनुभव देगी ।

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इंदौर से महू तक निकली “संविधान अमर है” पदयात्रा – 11 अगस्त 2024

11 अगस्त 2024 – देश में लगे आपातकाल अवधि से प्रभावित लोगो को श्रद्धांजलि देने हेतु केंद्र सरकार द्वारा 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में घोषित किया गया है । संविधान हत्या दिवस से हत्या शब्द हटाने की मांग को लेकर डॉ. अम्बेडकर युग सेवा समिति द्वारा भीम नगर इंदौर से डॉ. अम्बेडकर जन्मभूमि स्मारक महू तक 18KM की संविधान अमर है पदयात्रा निकालकर एसडीएम चरणजीत सिंह हुड्डा को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नाम ज्ञापन सौंपा ।

इसके पूर्व पिछले माह इसी विषय पर समिति इंदौर के सांसद शंकर लालवानी को प्रधानमंत्री

और संभागायुक्त कार्यालय पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दे चुकी है ।

और इंदौर की डॉ. अम्बेडकर प्रतिमा स्थल, गीता भवन चौराहे पर मानव श्रंखला भी बना चुकी है ।


समिति ने कहा की भारत का संविधान जीवित है और देश में सबके बीच मौजूद है । इसलिए तर्क व तकनीकी तौर पर संविधान हत्या दिवस में हत्या शब्द का प्रयोग सही नहीं है । समिति द्वारा लगातार चरणबद्ध रूप से मांग की जा रही है । वो आगे कहते है की हमारी मांग ना किसी पार्टी के विरोध में है ना किसी के समर्थन में और ना ही आपातकाल का समर्थन करते है । निश्चित तौर पर आपातकाल उस वक़्त नागरिकों के लिए एक संघर्षपूर्ण समय रहा है । किन्तु संविधान हत्या दिवस कहकर उस दिन को याद करना किसी भी सन्दर्भ में सही नहीं है । उस दिन को हत्या शब्द हटाकर अन्य नाम देना सरकार की जिम्मेदारी है।


एसडीएम चरणजीत सिंह हुड्डा को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नाम ज्ञापन सौंपा ।

ज्ञापन के दौरान एसडीएम महोदय को डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर जी की तस्वीर भी भेंट की गई ।


पदयात्रा में सामाजिक कार्यकर्ता मुरलीधर राहुल मेटांगे, ईश्वर तायड़े, भीमराव सरदार, रघुवीर मरमट, भारत निम्बाड़कर, योगेश भवते, शुभम रायपुरे, रघु बलाई, संघपाल इंगले, राकेश बचाने, सागर बलाई, अमित मेश्राम, अंकुश गवांदे, निम्बाजी वाकोड़े, आनंद सालवे, दिवाकर वाघोदे, आनंद वाघ, अनिल इंगले, योगेंद्र गवांदे, रघुनाथ समंदर, भारत जाधव, समाधान वाघोदे, राहुल मेटांगे, प्रतिभा मेटांगे, अर्चना मेटांगे, विक्रम मेटांगे, प्रकाश वानखेड़े, कुणाल वाकोड़े, प्रकाश निकडे, मनोज घरडे, बालकृष्ण गजभिये, सुभाष पांतावने सहित अन्य अम्बेडकर अनुयायी मौजूद थे ।