सामाजिक कार्यों में त्याग और समर्पण भाव जितना अधिक होगा, सफलता उतना ही सुखद अनुभव देगी ।

यहाँ जाने— भारतीय संविधान उद्देशिका शिलालेख का किस्सा

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सफलता उतना ही सुखद अनुभव देगी ।

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इंदौर सेंट्रल जेल में बंदियों को दिए तथागत गौतम बुध्द के उपदेश – 06.11.2024

06 नवम्बर 2024 – इन्दौर केन्द्रीय जेल के समस्त बंदी अपना आगामी जीवन सदमार्ग पर बिताए इस उद्देश्य से डाॅ. अम्बेडकर युग सेवा समिति के माध्यम से जेल परिसर में उज्जैन से पधारें बौध्द भंते धम्म किरण व भदंत धम्म बोधि द्वारा तथागत गौतम बुध्द के शांति, अहिंसा, करुणा से ओत-प्रोत उपदेश दिए गए ।

दोनों भंते ने बंदियों को प्राणी हिंसा नहीं करना, चोरी नही करना, कामवासना व्यभिचार से दूर रहना, झूठ नही बोलने और नशे से दूर रहने की सीख देते हुए बताया की यह तथागत बुद्ध के पंचशील सिद्धांत है । जिसका पालन करने से कई दुःखो को दूर किया जा सकता है । मन में अच्छे विचार लाने व अच्छे कर्म करने व स्वयं को जानने के लिए ध्यान साधना को अपनाना चाहिए । तथागत बुध्द के उपदेश इतने प्रभावशाली है कि उसे सुनकर डाकू अंगुलीमाल भी हथियार व अपराध छोड़कर बुध्द की शरण में चला गया । उस काल से लेकर आज तक कई आम व खास लोगो ने तथागत बुध्द के मार्ग को अपनाया है । किसी जेल में इस तरह बंदियों को पहली बार तथागत बुध्द के उपदेश दिए गए । बड़ी संख्या में बंदियों ने उपदेश को ध्यान से सुना ।

उपदेश के पश्चात समिति द्वारा जेल अधीक्षक अलका सोनकर व जेल उप अधीक्षक संतोष लढ़िया को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार प्रकट किया गया ।


व भंते धम्म किरण व भदंत धम्म बोधि को सम्मानित किया गया ।


इस दौरान मुरलीधर राहुल मेटांगे, भीमराव सरदार, रघुवीर मरमट, योगेन्द्र गवांदे, भारत निम्बाड़कर, ईश्वर तायड़े, लक्की पिसे, ममता जनवदे, प्रतिभा मेटांगे, प्रशांत इंदुरकर, प्रल्हाद तायड़े, आकाश वाकोड़े सहीत अन्य लोग मौजूद थे । कार्यक्रम की शुरवात तथागत बुध्द की प्रतिमा पर पुष्पार्पण दिप प्रज्जवलन व त्रिशरण-पंचशील की गाथा से की गई ।